श्री राम कथा

रामायण आदिकवि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य है जिसमें श्रीराम की गाथा है।

राम राम सब जगत बखाने। आदि राम कोइ बिरला जाने ।।

हर कोई राम को याद करता है, लेकिन यह कोई नहीं जानता कि असल में राम कौन हैं?

सनातन धर्म में श्री राम सबसे बड़े आराध्यों में से एक हैं, जिनका नाम हमारे जीवन के हर क्षण में मुखार बिंदु से किसी न किसी वजह से निकल ही जाता है, लेकिन हम राम नाम की महत्ता से लगभग अनजान ही हैं। सदियों पहले ही कबीरदास जी यह बात लिख गए हैं। मुख से निकलने वाला दो अक्षर का अद्भुत नाम ‘राम’ अपने आप में तीर्थ के समान है। सुबह आँखें खुलने से लेकर रात में सोने तक हम न जाने कितनी ही बार राम नाम का सम्बोधन कर लेते हैं, और इस बहाने श्री राम का स्मरण पूरे दिन हमारे मन-मस्तिष्क में रहता है।

रामायण और रामचरित मानस हमारे पवित्र ग्रंथ हैं।

तुलसीदास जी ने श्री राम को ईश्वर मान कर रामचरितमानस की रचना की है किन्तु आदिकवि वाल्मीकि ने अपने रामायण में श्री राम को मनुष्य ही माना है।

संस्कृत साहित्य परम्परा में रामायण को इतिहास कहा गया है और सनान संस्कृति के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय ग्रन्थ हैं। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। इसमें कुल लगभग २४,००० श्लोक हैं। इसके बाद की संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य पर इस महाकाव्य का बहुत अधिक प्रभाव है तथा रामकथा को लेकर अनेकों 'रामायण' रचे गये।

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान राम, विष्णु के मानव अवतार है। इस अवतार का उद्देश्य मृत्युलोक में मानवजाति को आदर्श जीवन के लिये मार्गदर्शन देना है।

रामायण के हर 1000 श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता है। यह मंत्र इस पवित्र महाकाव्य का सार है। गायत्री मंत्र को सर्वप्रथम ऋग्वेद में उल्लिखित किया गया है।

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श्री राम वंदना

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥

श्री रामाष्टक

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥

तुलसीदास जी ने लिखा है कि जब पृथ्वी पर रावण का अत्याचार बढ़ा और धर्म की हानि होने लगी तब भगवान शिव कहते हैं कि –

राम जनम के हेतु अनेका । परम विचित्र एक तें एका ॥
जब जब होई धरम की हानि । बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी ॥
तब तब प्रभु धरि विविध सरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा ॥

जब-जब धर्म का ह्रास होता है और अभिमानी राक्षस प्रवृत्ति के लोग बढ़ने लगते हैं तब तब कृपानिधान प्रभु भांति-भांति के दिव्य शरीर धारण कर सज्जनों की पीड़ा हरते हैं।

संरचना

सर्वप्रथम श्रीराम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वतीजी को सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया। उसी कौवे का पुनर्जन्म कागभुशुण्डि के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि को पूर्व जन्म में भगवान शंकर के मुख से सुनी वह रामकथा पूरी की पूरी याद थी। उन्होंने यह कथा अपने शिष्यों को सुनाई। इस प्रकार रामकथा का प्रचार-प्रसार हुआ। भगवान शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा अध्यात्म रामायण के नाम से विख्यात है।

रामायण में सात काण्ड हैं - बालकाण्ड, अयोध्यकाण्ड, अरण्यकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, लङ्काकाण्ड और उत्तरकाण्ड।

बालकाण्ड : - बालकाण्ड में प्रभु श्री राम के जन्म से लेकर राम सीता विवाह तक के घटनाक्रम आते हैं। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस के बाल काण्ड में 7 श्लोक, 341 दोहा, 25 सोरठा, 39 छंद- 39 एवं 358 चौपाई है ।

अयोध्यकाण्ड : - बालकाण्ड में प्रभु श्री राम के जन्म से लेकर राम सीता विवाह तक के घटनाक्रम आते हैं। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस के बाल काण्ड में 7 श्लोक, 341 दोहा, 25 सोरठा, 39 छंद- 39 एवं 358 चौपाई है ।

अरण्यकाण्ड : - बालकाण्ड में प्रभु श्री राम के जन्म से लेकर राम सीता विवाह तक के घटनाक्रम आते हैं। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस के बाल काण्ड में 7 श्लोक, 341 दोहा, 25 सोरठा, 39 छंद- 39 एवं 358 चौपाई है ।

सुन्दरकाण्ड : - बालकाण्ड में प्रभु श्री राम के जन्म से लेकर राम सीता विवाह तक के घटनाक्रम आते हैं। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस के बाल काण्ड में 7 श्लोक, 341 दोहा, 25 सोरठा, 39 छंद- 39 एवं 358 चौपाई है ।

किष्किन्धाकाण्ड : - बालकाण्ड में प्रभु श्री राम के जन्म से लेकर राम सीता विवाह तक के घटनाक्रम आते हैं। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस के बाल काण्ड में 7 श्लोक, 341 दोहा, 25 सोरठा, 39 छंद- 39 एवं 358 चौपाई है ।

लङ्काकाण्ड : - बालकाण्ड में प्रभु श्री राम के जन्म से लेकर राम सीता विवाह तक के घटनाक्रम आते हैं। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस के बाल काण्ड में 7 श्लोक, 341 दोहा, 25 सोरठा, 39 छंद- 39 एवं 358 चौपाई है ।

उत्तरकाण्ड : - बालकाण्ड में प्रभु श्री राम के जन्म से लेकर राम सीता विवाह तक के घटनाक्रम आते हैं। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस के बाल काण्ड में 7 श्लोक, 341 दोहा, 25 सोरठा, 39 छंद- 39 एवं 358 चौपाई है ।

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श्री राम कथा वाचक कौन हो?

जिस प्रकार कहा जाता है कि...

हरि अनंत,

हरि कथा अनंता।

अर्थात्
हरि अनंत है व उनकी कथा भी अकथनीय है।

अब जब ईश्वर अनंत है तो उनकी कथा का बेहतरीन वाचक भी वही हो सकता है, जो उस हरि या ब्रह्म से भीतर से जुड़ा हो। क्योंकि तब वो कथा केवल कहानी न होकर दिव्य कथा हो जाती है व शब्द शब्द न रहकर हरि वचन ही होते है। इसीलिए हमें अपने भागवत कथाओं के वाचक के लिए आवश्यकता है कि वह ब्रह्मज्ञानी अवश्य हो, तभी वह कथा ग्रहण करने वालों की आत्मा को भी छू पाएगी।

श्री राम कथा/रामायण क्यों पढना चाहिए ?

आज हमारा जीवन बहुत ही व्यस्त हो गया है, ऐसा नही है की पहले के लोगो का जीवन व्यस्त्पूर्ण नही था, लेकिन उनके जीवन में व्यस्तता के साथ ही धैर्य और संतोष भी था, समय के साथ इन्सान की जरूरते भी बदलती गयी, हम सभी जीवन जीने का सही ढंग भूलते जा रहे है, श्री राम कथा हमें सही जीवन जीने का ढंग सीखाती है।

घर में श्री राम कथा कराने से क्या होता है?

अगर गृह क्लेश खत्म नहीं हो रहा है या घर में लगातार हो रहे लड़ाई-झगड़े से छुटकारा पाना चाहते हैं तो श्री राम कथा चरित्र का पाठ जरूर करें। ऐसा करने से घर में सुख-शांति बनी रहेगी।

श्री राम कथा कराने से क्या होता है?

रामकथा सुनने से व्यक्ति का शारीरिक शुद्धिकरण होता है, साथ ही समस्त सांसारिक दु:खों से मुक्ति मिलती हैं। जो व्यक्ति जितनी बार राम कथा का श्रवण करेगा उसे उतना ही लाभ प्राप्त होगा।

श्री राम कथा क्यों करना चाहिए?

श्री राम कथा - पूजन, पाठ, हवन, यज्ञ आदि जितने भी सत्कर्म हैं। उनका फल है श्री राम कथा में मन का लगना। श्री राम कथा का आयोजन करने तथा सुनने के अनेक लाभ हैं जिनमें कुछ इस प्रकार हैं…

रामकथा ही मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है।

कैसे मित्र बनाना चाहिए, कैसे माता-पिता की सेवा करना चाहिए, कैसे अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए, कैसे परिवार में प्रेम और सामंजस्य बनाना चाहिए, कैसे और क्यों समाज से जुड़ना चाहिए और समाज सेवा करनी चाहिए, इसीलिए प्रत्येक मानव को रामायण की शरण में आना चाहिए।

जब भी हम किसी मंत्र का माला से जाप करते हैं, तो 108 बार करते हैं क्योंकि एक माला में 108 मनके होते हैं. 108 की संख्या को बेहद शुभ माना गया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि राम-राम कह देने भर से 108 का योग बन जाता है. यानी राम-राम साथ बोलना ही एक माला के समान माना गया है।

रामायण श्री राम की एक अद्भुत अमर कहानी है जो हमें विचारधारा, भक्ति, कर्तव्य, रिश्ते, धर्म, और कर्म को सही मायने में सिखाता है।

इसे आयोजित कराने तथा सुनने वाले व्यक्तियों-परिवारों के पितरों को शांति तथा मुक्ति मिलती है।

पारिवारिक-मानसिक अशांति, क्लेश का नाश होता है, शत्रुओं पर विजय मिलता है तथा उनका शमन होता है।

श्री राम कथा कराने में कितना खर्च आता है?

श्री राम कथा में कम से कम एक लाख रुपए और इसके बाद आप कितना भी अपनी श्रद्धा अनुसार खर्च कर सकते हैं वैसे तो आज के समय में लोगों का करीब 5 - 10 लाख तक खर्च हो जाता है। आज कल तो कुछ श्रधालु श्रीमद् भागवत कथा का लाइव प्रसारण टीवी पर कराते हैं जिसमें लगभग 25 से 50 लाख रुपये तक का भी खर्च आ जाता है।